Tuesday 16 October 2012

अयोध्या से संजय जी का लेख


जब चीन २९ रुपये प्रति वाट के हिसाब से सौर उर्जा पैनलो का बेहिसाब उत्पादन कर रहा है तो भारत २५ रुपये प्रति वाट के हिसाब से सोलर पैनल क्यों नहीं बना सकता है...

भारत सरकार की बेहयाई देखिये...सोलर पैनल २२० रुपये (७-८ गुना) प्रति वाट बेचे जा रहे है साथ में दूसरी चीजों को खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है..

यदि भारत में सौर बिजली पैनल बनवाने में सरकार रूचि ले ले तो क्रांति आ जाये. इसीलिये रामदेव जी कहते हैं की भारत का उद्धार योग-आयुर्वेद-कृषि-गाय-सूर्य से ही होगा..

१-     जो अमेरिका हमें परमाणु उर्जा लगाने के लिए कहा रहा है, उस अमेरिका ने पिछले ३० साल से कोई नया प्लांट नहीं लगाया और अब आगे लगायेगा भी नहीं, अब बिजली के लिए नए नए सूर्य उर्जा घर बना रहा है, पवन चक्की और जल-विद्युत को ही अपना रहा है, जो आस्ट्रेलिया दूनिया को यूरेनियम बेचता है, उसने एक भी परमाणु संयंत्र नहीं लगाया है, जापान भी आगे से कोई परमाणु बिजली घर नहीं लगायेगा.

२-     भारत में अमेरिका से ज्यादा गर्मी होती है और यहाँ पर सालभर सूरज चमकता है जो सूर्य उर्जा के पैनलो को ज्यादा बिजली बनाने में सहायक है. भारत में सोलर बिजली आने से ५ करोड अतिरिक्त रोजगार पैदा होगा जिस प्रकार से मोबाइल में पैदा हुआ है.


३-     जर्मनी अपने सभी परमाणु संयंत्र २०२२ तक बंद करा देगा और सूर्य उर्जा के बहुत बड़े बड़े प्लांट लगा रहा है, जो हर तरीके सुरक्षित है,

४-     परमाणु उर्जा लगाने का खर्चा १४ करोड प्रति मेगावाट है जबकि सूर्य ऊर्जा ५-६ करोड मेगावाट होता है और इसका सञ्चालन बहुत सरल और कोई खर्चा नहीं है.सोलर प्लांट लगाने से जमीन बरबाद नहीं होती है. ८-१० मीटर की दुरी पर ऊँचा खम्भा लगाने से खेतों को भी सोलर ऊर्जा के केन्द्रों में बदला जा सकता है और खेती भी होती रहेगी.


५-     दिन में बिजली रहने से लोग दिन में कारखाने में काम करे और और रात में बच्चो के बिच रहे, भारत में ४,००,००० मेगावाट बिजली बनाई जा सकती है. हर गाव में एक सोलर उर्जा केंद्र स्थापित किया जा सकता है. बिजली खपत घटने केलिए एल ई डी की तकनीक पर सरकार भरी छूट भी दे सकती है,

६-     घरों में बिजली की खपत कम करने के लिए हर घर को २०० वाट का सोलर पैनल दे दिया जाये जो सरकारी लूट निकाल दिया जाये तो मात्र ५००० रुपये ही लग जायेगा, जैसा की स्वामी रामदेव जी भी इसी पर जोर दे रहे हैं. अभी मनमोहन ने ५६००० करोड यूरोपियन अंग्रेजो को दे दिया, इतने में तो ११,००,००,००० घरों में आजीवन बिजली आ जाती.


७-     हमारी उर्जा की आवश्यकता पूरी हो जाये तो हमें किसी भी देश के सहारे की क्या आवश्यकता है.भारत में दुनिया हर चीज पैदा होती है, हमें तो कुछ आयात करने की जरुरत ही नहीं है. भारत को सभी संधियों से बहार आ जाना चाहिए और हर देश से द्विपक्षीय संधि करनी चाहिए, १ मीटर गुने १.५ मी के पैनल से २३० वाट की विजली बनती है जिससे ७० वाट के दो पंखे, एक टी,वि,२ लाईट लगातार चला सकती है फ्री में.

८-     खेतों में इंजिन चलने के लिए गोबर गैस से चलने वाले इंजिन का विकास पहले ही हो चका है इससे खेतों के लिए बहुत ही उर्वर गोबर की खाद भी मिलाती रहेगी और पशुओ का काटना बंद हो जायेगा, हर भारतीय को भरपूर शुद्ध दूध भी मिल जायगा.


९-     हर गाव में बिजली होने से हर गाव में रोजगार भी मिलेगा और गाव में भी खुशहाली आ जायेगी.
लेकिन ये सब क्या “भारत-स्वाभिमान” खुद करा पायेगा, नहीं, इसे तो भारत की सरकार को करना है, क्योकि कांग्रेस इन सब चीजों को नहीं करना चाहती है, इसलिए भारत में एक राष्ट्रवादी सोच वाले ईमानदार लोगो की सरकार स्वामी रामदेव जी के निर्देशन में बनानी होगी, जिसके लिए २०१४ की तैयारी जोरों पर है जिसमे आपकी सकारात्मक भागीदारी आवश्यक है.